म्यूच्यूअल फंड या फिर यूं कहें कि म्यूचुअल फंड सही है आपने इस तरह की टैगलाइन कई सारे अखबारों और टीवी के विज्ञापनों में देखा होगा म्यूच्यूअल फंड आज के समय में बढ़ती महंगाई को हराने का एक अचूक हथियार बन सकता है जिस प्रकार दुनिया और भारत में महंगाई बढ़ रही है
उसी के साथ हमारे पैसों की वैल्यू भी लगातार कम होते जा रही हैं हम अगर भारत की महंगाई दर की बात करें तो भारत में महंगाई सालाना 6% से लेकर 8% के बीच में झूलते रहती है
अगर कोई वस्तु हमें इस समय ₹100 में मिल रही है तो इसकी काफी ज्यादा संभावना है कि वह अगले साल 106 रुपए में हमें मिलेगी इसका यह मतलब होता है कि महंगाई सालाना बढ़ रही है और हमारे रुपए की वैल्यू कम हो रही है

इसी वैल्यू को समय के साथ बढ़ाने के लिए हमें निवेश का रास्ता चुनना पड़ता है जिससे हमारे मुद्रा की वैल्यू बनी रहे और यह आप आसानी से सोना-चांदी खरीद कर उसकी वैल्यू बराबर रख सकते हैं
क्योंकि सोने चांदी का भाव भी सालाना 6% से 7% की दर से ही बढ़ता है लेकिन तब भी हमारा पैसा इसमें बढ़ता नहीं है उसे बढ़ाने के लिए हमें कोई ऐसा रास्ता चाहिए जो कि हमारे पैसे को महंगाई की दर से ज्यादा बढ़ाएं और म्यूच्यूअल फंड इस मामले में एक दम सटीक और सरल तरीका है
जो कि हमारे पैसों की वैल्यू को महंगाई की दर से ज्यादा बढ़ाएगा अगर बात करें एक सिंपल से म्यूच्यूअल फंड की तो वह आसानी से हमारे पैसों को 12 से 14 फ़ीसदी के बीच में सालाना बढ़ा देता है जो कि किसी भी बैंक के सेविंग अकाउंट और एफडी के ब्याज से दुगना होता है
चलिए जानते हैं म्यूच्यूअल फंड क्या है और इसमें कैसे इन्वेस्ट किया जाता है और हमें अच्छा म्युचुअल फंड कैसे चुनना चाहिए जो कि लंबी अवधि में हमारे पैसों को अच्छे से बढ़ाएं और हमें एक अच्छा रिटर्न दे|
म्यूच्यूअल फंड क्या होता है?
म्यूच्यूअल फंड एक ऐसा माध्यम है जोकि बहुत सारे निवेशक को के पैसों को एक सही जगह है निवेश करता है खास करके यह नए निवेशकों के लिए निवेश करने का एक सबसे अच्छा माध्यम होता है
जहां निवेशक अपने पैसों को निवेश करते हैं इसमें कई प्रकार के ऐसे लोग भी होते हैं जिन्हें की निवेश के लिए अलग से रिसर्च नहीं करना होता है और कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जिन्हें निवेश से जुड़ी ज्यादा जानकारी नहीं होती है
इस प्रकार के लोग म्यूच्यूअल फंड में निवेश करते हैं और उन्हें उस निवेश के बदले कुछ यूनिट मिलते हैं जो कि उस मूल्य के होते हैं जो उन्होंने निवेश किए होते हैं
म्यूच्यूअल फंड को एक बहुत ही पढ़े लिखे इन्वेस्टर द्वारा चलाया जाता है जिन्हें शेयर मार्केट का पूरा ज्ञान होता है वह आपके पैसों को ऐसी जगह लगाते हैं कि वह समय के साथ बढ़ता रहे इसे ही म्यूच्यूअल फंड कहते हैं
म्यूचुअल फंड में सिर्फ शेयर मार्केट ही नहीं होता है बल्कि इसमें वह सारे मार्केट आ जाते हैं जहां पर निवेश किया जा सकता है जैसे कि गोल्ड बॉन्ड और कमोडिटी मार्केट यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस प्रकार का म्युचुअल फंड चुन रहे हैं कुछ म्यूचुअल फंड में बहुत ज्यादा रिस्क होता है
लेकिन उसमें मुनाफा भी उतना ही ज्यादा होता है और जिस में रिस्क कम होता है उसमें मुनाफा भी कम होता है तो चलिए जानते हैं कि एक अच्छा म्यूच्यूअल फंड कैसे चुने
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एक बढ़िया म्यूच्यूअल फंड कैसे चुने?
म्यूच्यूअल फंड अलग-अलग प्रकार के होते हैं तो जब भी हम एक अच्छा म्युचुअल फंड को चुनते हैं तो हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उसने पिछले 4 से 5 सालों में किस प्रकार का रिटर्न दिया है लेकिन यह भी ध्यान रखना चाहिए की जरूरी नहीं कि जिस म्यूच्यूअल फंड ने पिछले 4 से 5 साल में अच्छा रिटर्न दिया हो|
वह आगे भी इसी प्रकार का रिटर्न देगा यह पूरी तरीके से उस म्यूच्यूअल फंड की केटेगरी पर निर्भर करता है की वह किस केटेगरी का म्युचुअल फंड है एक अच्छा म्यूच्यूअल फंड चुनने के लिए हमें कुछ पैरामीटर को ध्यान में रखना चाहिए
म्यूच्यूअल फंड चुनने का पैरामीटर?
एक अच्छा म्यूच्यूअल फंड चुनने के लिए आपको यह पता होना चाहिए कि आपका गोल क्या है मान लेते हैं कि आपको 3 साल बाद अपने लिए एक गाड़ी लेनी है तो यह आपका गोल हुआ कि आपको 3 साल बाद एक गाड़ी लेनी है जब आपको अपना गोल पता होता है तो आपको यह पता होता है कि आप कितना रिस्क ले सकते हैं
और आपको यह अंदाजा लग जाता है कि मुझे कितना रिटर्न मिलेगा तो मैं इस गोल तक पहुंच पाऊंगा तो मान लेते हैं कि आप 3 साल बाद एक गाड़ी लेने वाले हैं तो इस स्थिति में आपको इक्विटी मार्केट मैं इन्वेस्टमेंट करना चाहिए इक्विटी मार्केट काफी ज्यादा वोलेटाइल होती है
इसमें थोड़ा रिस्क होता है लेकिन उस की अपेक्षा में रिटर्न भी उतना ही ज्यादा होता है वहीं अगर आप यह चाहते हैं कि मेरे पैसे धीरे-धीरे बढ़ते रहें और रिस्क भी ना रहे तो आप ऐसे में डेट म्युचुअल फंड को चुन सकते हैं यह ज्यादा वोलेटाइल नहीं होता है लेकिन इसमें रिटर्न भी कम होता है
जब हम कोई म्यूच्यूअल फंड को चुनते हैं तो हमें पता होना चाहिए कि हम जिस म्यूच्यूअल फंड को चुन रहे हैं उसे मैनेज करने वाले फंड मैनेजर कैसे हैं हमें उनकी हिस्ट्री के बारे में थोड़ा जानना चाहिए कि वह कब से जिस फंड में हमने निवेश किया है उस फंड को मैनेज कर रहे हैं
और उस फंड ने पिछले 3 से 4 सालों में कितना रिटर्न बनाया है एवं उसका एनुअल रिटर्न भी चेक करना चाहिए कि वह सालाना कितना रिटर्न देता है
इसके साथ ही हमें यह भी देखना चाहिए कि हमने जिसके डिग्री के म्यूचुअल फंड में निवेश किया है उसके टिकरी के दूसरे म्यूच्यूअल फंड ने किस प्रकार के रिटर्न सालाना आधार पर दिए हैं जिससे कि हमें यह अंदाजा लग जाएगा कि हमारा म्यूच्यूअल फंड दूसरे म्यूच्यूअल फंड की तुलना में कहां खड़ा उतरता है
जब भी कोई म्यूच्यूअल फंड मैनेजर या कंपनी म्यूच्यूअल फंड को मैनेज कर रही होती है तो उस फंड को मैनेज करने के लिए वह निवेशकों से एक फीस चार्ज करती है जिसे एक्सपेंस रेशों (expense ratio) कहा जाता है
तो हमें निवेश करने से पहले इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम जिस फंड में निवेश कर रहे हैं उसका एक्सपेंस रेश्यो दूसरे फंड से कम होना चाहिए या ध्यान दीजिए कि जब भी एक्सपेंस रेशों को दूसरे एक्सपेंस रेशों से कंपेयर करें तो वह फंड उसी केटेगरी का होना चाहिए जिस कैटेगरी में आप निवेश करना चाहते हैं
म्यूचुअल फंड में लाभ और हानि?
जब भी हम किसी सेवा का इस्तेमाल करते हैं तो हमें यह बात हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि हमें उसके फायदों के साथ-साथ उसके नुकसान का पूरी जानकारी होनी चाहिए जिससे हम यह आसानी से जान सकते हैं कि जिस सेवा का हम इस्तेमाल करने वाले हैं
उसमें हमारा लॉन्ग टॉप या फिर शॉर्ट टर्म में फायदा होगा या नुकसान होगा जब हम यह जान पाएंगे तभी हम अपने गोल तक आसानी से पहुंच पाएंगे तो चलिए जानते हैं म्यूचुअल फंड में निवेश करने से हमें क्या लाभ और क्या हानि हो सकती है
म्यूच्यूअल फंड के फायदे
म्यूच्यूअल फंड के फायदे बहुत अधिक है तभी यह नए निवेशकों के लिए बीच में बहुत लोकप्रिय है
एक्सपेंस रेशों (Expense Ratio): जब भी हम किसी फंड में निवेश करते हैं तो उस फंड की सबसे अच्छी बात यह रहती है कि उसमें लगने वाला एक्सपेंस रेशों बहुत कम होता है और बदले में हमें एक कुशल (प्रोफेशनल) मैनेजमेंट जो कि हमारे फंड को मैनेज करता है
उसकी सुविधा बहुत ही कम पैसों में मिल जाती है यह एक्सपेंस रेशों लगभग 1 से 2% के अंदर ही होता है वैसे ये निर्भर करता है कि आप किस फंड में निवेश कर रहे हैं
निवेश विविधता (Investment Diversify): एक म्यूच्यूअल फंड निवेश करने से सबसे बड़ा फायदा होता है जो हमारे पैसे जिस भी फंड में लगे होते हैं उसे फंड मैनेजर अलग-अलग सेक्टर में लगाता है जिससे कि हमारे निवेश में डायवर्सिफिकेशन बनी रहती है इससे हमारा रिस्क कम हो जाता है
इसे एक उदाहरण से समझते हैं जैसे मान लेते हैं स्टील सेक्टर में अभी मंदी आ गई है तो इस स्थिति में हमारा इन्वेस्टमेंट ज्यादा प्रभावित नहीं होगा क्योंकि हमारे पैसे सिर्फ स्टील सेक्टर में ही नहीं लगे हैं बल्कि स्टील के साथ-साथ बैंक, ऑटो और एग्रीकल्चर सेक्टर में भी लगे हैं
जिससे अगर किसी एक सेक्टर में मंदी भी आ जाती है तो हमारे इन्वेस्टमेंट को कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है यही बड़ा फायदा होता है किसी म्यूचुअल फंड में निवेश करने का इसे मात्रा आप एक उदाहरण ही समझे
कम पूंजी में निवेश (Investing In Low Capital): म्यूचुअल फंड में एसआईपी के माध्यम से हम बहुत ही कम पैसों से शुरुआत कर सकते हैं इसके लिए हमें कोई बड़े फंड की आवश्यकता नहीं है कम पूंजी से हमारा मतलब यह है कि आप मात्र ₹500 या तो फिर उससे भी कम अपने निवेश की शुरुआत कर सकते हैं
और अगर आप चाहते हैं कि आपने कुछ पैसे इकट्ठा कर रखे हैं और आप इसे इकट्ठा ही किसी म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं तो यह सुविधा भी म्यूचुअल फंड में मिलती है लम सम के माध्यम से आप एक इकट्ठा धनराशि को निवेश कर सकते हैं
निवेश में आसानी (Ease Of Investment): म्यूचुअल फंड में निवेश करना अब इतना आसान हो गया है कि इसके लिए अब आपको डिमैट अकाउंट खोलने की आवश्यकता नहीं पड़ती वही आपको यह बार-बार नहीं देखना रहता है कि आपने मार्केट ऊपर है या नीचे आपको एक मंथली एसआईपी करनी होती है
जिसके माध्यम से आपका पैसा हर महीने की आपकी एक तय तारीख पर ऑटोमेटिक कट जाया करेगा और वह ऑटोमेटिक निवेश हो जाएगा ऐसे कई सारे प्लेटफार्म आज के समय में उपलब्ध है उनके माध्यम से हम कुछ ही मिनटों में अपने एसआईपी की शुरुआत कर सकते हैं
म्यूचुअल फंड के नुकसान
म्यूचुअल फंड में कई बार हमें कुछ चीजों का ज्ञान नहीं होता जिसके कारण इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है
म्यूचुअल फंड के फायदों पर टैक्स: जब भी हम किसी म्युचुअल फंड में निवेश करते हैं तो हम हैं भारत सरकार को टैक्स देना पड़ता है और यह टेक्स 15% तक भी हो सकता है अगर हम किसी म्यूचुअल फंड में निवेश किए गए धनराशि पर मुनाफा कमाते हैं
और उसे उस म्यूच्यूअल फंड से निकालते हैं तो हमें लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन देना पड़ता है अगर 1 साल से अधिक अवधि पर हम इस धनराशि को निकालते हैं तो हमें 10% टैक्स देना पड़ता है
वहीं अगर शॉर्ट टर्म में पैसों को निकाला जाए तो वहां पर टैक्स 15% तक तो लगता है लेकिन यह भी देखें अगर हमें अपने कैपिटल पर 1 लाख या उससे अधिक फायदा होता है तभी हमें यह टेक्स सरकार को देना पड़ता है
फिक्स रिटर्न नहीं: छोटी अवधि में किसी म्यूचुअल फंड में निवेश किया गया पूंजी पर कोई रिटर्न आए या नहीं इसकी कोई गारंटी नहीं होती क्योंकि म्यूच्यूअल फंड बहुत हद तक शेयर मार्केट से लिंक होते हैं और इसमें वोलैटिलिटी काफी ज्यादा होती है इसलिए जरूरी नहीं कि आपको एक अच्छा रिटर्न नहीं सके मिल ही सके अगर आपने एक अच्छा म्यूच्यूअल फंड नहीं चुना है तो यह सारी संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है
म्यूच्यूअल फंड से बाहर निकलना: जब भी आप किसी म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं और आपका जो भी एक गोल अमाउंट होता है वह पूरा हो जाता है और आपको लगता है कि अब आपको इस म्यूच्यूअल फंड से अपने सारे पैसों को बाहर निकाल लेना चाहिए तब आपको उससे बाहर निकलने के लिए एक एग्जिट लोड (exit load) म्यूच्यूअल फंड मैनेजर को देना पड़ता है
अगर निवेश के शुरुआती दिनों में देखा जाए तो यह एग्जिट लोड बहुत ही कम लगता है लेकिन जब आप एक बहुत लंबी अवधि के बाद इस फंड से निकलते हैं तब आपको यह महसूस होगा कि आपको कितना अधिक पैसा एक म्यूच्यूअल फंड मैनेजर को देना पड़ रहा है
म्यूच्यूअल फंड पर नियंत्रण: हमें यह अच्छे से मालूम होना चाहिए कि जब भी हम किसी म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो हम अपनी मर्जी से उसमें कुछ भी बदलाव नहीं कर सकते बदलाव से हमारा मतलब यह है कि हम अपनी मर्जी से किसी भी सेक्टर में निवेश नहीं कर सकते यह सिर्फ फंड मैनेजर द्वारा ही नियंत्रण किया जाता है
इसका मतलब यह है कि हमारे रिटर्न पूरी तरीके से फंड मैनेजर के फैसलों पर निर्भर करता है इसमें हम चाह कर भी कुछ नहीं कर सकते
हम आपको म्यूच्यूअल फंड से जुड़े कुछ प्रश्नों के उत्तर पड़े हैं आसान और सरल भाषा में देने का प्रयास किया है हम आशा करते हैं
कि आपको यह अच्छे से समझ में आ गया होगा कि म्युचुअल फंड क्या होता है और इसमें निवेश करने से पहले हमें क्या क्या सावधानियां रखनी चाहिए तथा इसमें निवेश करने से पहले क्या फायदे और क्या नुकसान होते हैं
यह पता चल गया होगा इसके साथ ही हमारी एक छोटी सी राय यह भी है कि आप हमेशा सीखने पर ध्यान दें किसी की बातें सुनकर या उसकी एडवाइस लेकर कभी भी निवेश ना करें हमेशा अपना सीखें समझे तभी निवेश करें
म्यूच्यूअल फंड (mutual fund Hindi) से जुड़े कुछ प्रश्नों के उत्तर संक्षिप्त में
म्यूचुअल फंड में कितना रिटर्न मिलता है?
म्यूच्यूअल फंड कम से कम 8% से लेकर 20 25% तक भी रिटर्न मिल सकता है लेकिन यह कभी भी फिक्स नहीं होता यह पूरी तरीके से आप के चुने हुए म्यूच्यूअल फंड पर निर्भर करता है कि वह किस कैटेगरी का है
म्यूचुअल फंड से कमाई?
अगर म्यूचुअल फंड में लंबी अवधि के लिए निवेश किया जाए तो इससे हम एक मोटी कमाई कर सकते हैं क्योंकि छोटी अवधि में म्यूचुअल फंड में बहुत ज्यादा वोलैटिलिटी होती है
जिसके कारण छोटी अवधि में कमाई करना थोड़ा मुश्किल होता है लेकिन लंबी अवधि में बड़ी पूंजी बनाना बहुत आसान होता है
SIP क्या है और उसका फुल फॉर्म?
SIP का फुल फॉर्म (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) होता है इसमें हम हर महीने अपनी पूंजी का एक छोटा हिस्सा निवेश करते हैं जो कि लंबी अवधि के बाद एक बहुत बड़ी पूंजी के रूप में हमें मिलता है