आज के समय देखा जाए तो जल प्रदूषण सबसे बड़ी समस्याओं में से एक समस्या बन चुका है और जल के बिना जीवन की कल्पना भी कर पाना बहुत मुश्किल है
जल प्रदूषण को अगर समय रहते नहीं रोका गया इसके गंभीर दुष्परिणाम देखने को मिल सकते हैं जल प्रदूषण से कई गंभीर प्रकार के रोग हो रहे हैं जो कि मनुष्य तथा जीव जंतुओं के मृत्यु का कारण भी बनते हैं

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जल प्रदूषण क्या है?
मानव गतिविधियों द्वारा उत्पन्न जहरीले प्रदूषक को से पानी के जल का गंदा होना ही जल प्रदूषण है दूसरे शब्दों में जल के भौतिक एवं रासायनिक स्वरूप में परिवर्तन करना ही जल प्रदूषण कहलाता है
नदी झीलों तालाबों और समुद्र के पानी में ऐसे पदार्थ मिल जाते हैं जिससे पानी में जो जंतुओं और प्राणियों के प्रयोग करने के लिए वह जल योग्य नहीं रह जाता है
इसी वजह से हर एक जीवन जो पानी पर आधारित होता है वह बहुत अधिक प्रभावित होता है जल प्रदूषण पूरे विश्व के लिए एक गंभीर समस्या के रूप में उभर कर आया है
दुनिया भर में दूषित जल पीने से लगभग 14 से 15 हजार लोगों की हर साल मौत हो जाती है धरती पर आज के समय में औद्योगिकीकरण के युग में धरती पर जल का प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है
जल प्रदूषण का कारण
जल प्रदूषण का सबसे प्रमुख कारण उद्योग धंधे हैं उद्योग धंधे, कल कारखानों के जहरीले रासायनिक कचरे को ज्यादातर समय नदियों और तालाबों में छोड़ दिया जाता है
एक आकलन के अनुसार गंगा नदी जो देश की सबसे पवित्र नदियों में से एक नदी मानी जाती है उसमें रोज लगभग 1400 मिलियन लीडर सीवेज और 200 मिलियन लीटर औद्योगिक कचरा लगातार छोड़ा जा रहा है जो की बहुत ही घातक है
जल प्रदूषण के प्रमुख कारण
जल प्रदूषण के मुख्य कारण कुछ इस प्रकार हैं
- घरेलू कचरे का नदियों और तालाबों में फेंका जाना
- खेतों में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग
- दुर्घटना हो जाना जाने पर समुद्री जहाजों के ईंधन का समुद्र में फैल जाना
- जल में परमाणु परीक्षण करना
जल प्रदूषण के दुष्परिणाम
आधुनिक युग में जल प्रदूषण एक बहुत गंभीर समस्या के रूप में आया है दूषित जल को पीना स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है
दूषित जल का सेवन करने से मनुष्य को लूज मोशन, हैजा, उल्टियां, क्षय रोग और डिसेंट्री से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है दूषित जल पीने से जीव जंतुओं का स्वास्थ्य भी बिगड़ जाता है
जल में कारखानों से अवशिष्ट पदार्थ आकर मिलते हैं तो जल प्रदूषण के साथ ही वातावरण भी गर्म होता है
जिसकी वजह से वहां के जीव-जंतुओं और वनस्पतियों की संख्या में भी कमी होने लग जाती है और जललीय पर्यावरण भी असंतुलित होता है
इस प्रदूषित जल से जब खेतों की सिंचाई की जाती है तो उसका हानिकारक प्रभाव कृषि भूमि की उर्वरक क्षमता पर भी पड़ता है
जल प्रदूषण को रोकने के उपाय
जल प्रदूषण की रोकथाम हेतु निम्नलिखित उपायों को अपनाना चाहिए
- सरकार को जल प्रदूषण रोकने के लिए कुछ जरूरी कदम उठाने चाहिए
- कूड़े कचरे और प्लास्टिक का रीसायकल करना चाहिए
- उद्योगों द्वारा नदियों में छोड़े जाने वाले अपशिष्ट पर रोक लगानी चाहिए
- नदियों और तालाबों पर कपड़े वाहन तथा को पशुओं धोने पर पाबंदी लगाना चाहिए
- कारखानों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों के निष्कासन की व्यवस्था होनी चाहिए
- जो भी कारखाने अधिक मात्रा में प्रदूषण कहलाते हैं उन पर कार्रवाई की जानी चाहिए
- शहरों से निकलने वाले अपशिष्ट का उचित निपटारा होना चाहिए
- रासायनिक तथा मानव निर्मित खाद की जगह की जगह जैविक खाद का प्रयोग करना चाहिए
जल प्रदूषण का निष्कर्ष
जल प्रदूषण ने आज दुनिया और देश भर में विकराल रूप ले लिया है अगर हम भविष्य में पानी के स्त्रोतों को सुरक्षित रखना चाहते हैं और पीने के लिए स्वच्छ जल चाहते हैं
तो हमें इसी समय से इस समस्या को दूर करने के लिए जरुरी कदम उठाने होंगे अगर हम इस मामले में देरी करेंगे तो यह और अधिक विकराल रूप ले सकता है